सफलता की कहानी//प्रशासन गांवों के संग अभियान
दो बच्चों को मिला पालनहार का सहारा
शाहबाद के खुशियारा क्षेत्र के दो बच्चों के सिर से 9 वर्ष पूर्व पिता का साया अनायास उठ जाने से उनके पालन पोषण का जिम्मा मां पर आ गया था। प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत खुशियारा में आयोजित शिविर में मां रामकनी के आवेदन पर दोनों बच्चों के लिए पालनहार योजना का लाभ स्वीेृत किया गया। आर्थिक मुश्किलों में गुजर-बसर कर रही रामकनी को अब हर माह दो हजार रूपए मिलेंंगे सरकार की सहायता से वह अब दोनों बच्चों का बेहतर तरीके से पालन पोषण कर सकेगी।
रब रूठा तो सरकार ने संभाला
फतेहपुर गांव की 12 वर्षीय दीपिका से जैसे रब ही रूठ गया था जब उसके पिता की पिछले वर्ष दुर्घटना में मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के बाद उसकी मां ने भी उसे छोड़कर दूसरा ब्याह रचा लिया था। इस विपदा के बाद वह अपनी बुजुर्ग दादी चमेली बाई के साथ जीवन यापन कर रही थी। अभियान के तहत फतेहपुर में आयोजित शिविर में दीपिका के पालन पोषण के लिए चमेली बाई को पालनहार योजना की स्वीकृति प्रदान की गई। चमेली बाई कहती हैं कि सरकार की मदद के कारण वह अपनी पोती को बेहतर शिक्षा दिलवा सकेगी।
रामसुखी अब होगी ‘सुखी’
दो वर्ष पूर्व पति के गुजर जाने से शाहबाद क्षेत्र की संदोकड़ा की रामसुखी पर जैसे दुखों का पहाड़ सा टूट पड़ा था। चार बच्चों के पालन पोषण की पूरी जिम्मेदारी उस पर आ गई थी। प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत संदोकड़ा ग्राम पंचायत में आयोजित शिविर में उसके तीन बच्चों के लिए पालनहार योजना स्वीकृत हुई तो उसे विश्वास हुआ कि अब उसकी मुश्किलें कम हो सकेंगी। अब तक वह केवल जैसे-तैसे बच्चों का भरण पोषण कर पा रही थी। रामसुखी कहती हैं कि राज्य सरकार मुसीबत के समय में अच्छी मददगार बनी है। वह हमेशा इसके लिए आभारी रहेंगी।
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