RJPRD//1st October 2025//राजीविका
मेला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के हुनर और आत्मनिर्भरता का प्रतीक
*महिला सशक्तीकरण का एक सशक्त मंच यह मेला-डॉ. किरोडी लाल
*1 से 12 अक्टूबर तक इंदिरा गांधी पंचायती राज ग्रामीण विकास संस्थान परिसर में हो रहा आयोजन
जयपुर: पहली अक्टूबर 2025: (मीडिया लिंक रविंदर//राजस्थान स्क्रीन डेस्क)::
डॉ. किरोड़ी ने कहा कि राजीविका ने प्रशिक्षण, वित्तीय सहयोग और विपणन अवसर प्रदान कर ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाया है। आज ये महिलाएँ न केवल अपने परिवारों का संबल हैं बल्कि गाँव की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बना रही हैं। उन्होंने मेले में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से बात कर उनकी संख्या, लागत और आय के बारे में जानकारी ली। उन्होंने आमजन से इस मेले में अधिक से अधिक खरीदारी करने का आह्वान किया तथा कहा कि यहां से खरीदा गया प्रत्येक उत्पाद केवल एक वस्तु नहीं बल्कि हमारी ग्रामीण बहनों की मेहनत और सपनों का प्रतीक है। उन्होंने अलवर के स्वयं सहायता समूह द्वारा लगाई गई स्टॉल से दीये खरीद कर यूपीआई से भुगतान किया।
उल्लेखनीय है कि यह मेला 1 से 12 अक्टूबर तक इंदिरा गांधी पंचायती राज ग्रामीण विकास संस्थान परिसर जवाहर लाल नेहरू मार्ग जयपुर में प्रतिदिन प्रातः 10 बजे से रात्रि 9 बजे तक आयोजित किया जा रहा है। मेले में 65 हैंडीक्राफ्ट स्टॉल्स एवं 10 स्टॉल्स से सजा भव्य फूड कोर्ट आकर्षण के केंद्र हैं। यहाँ आगंतुकों को राजस्थान के विविध जिलों के हस्तनिर्मित उत्पाद और परम्परागत राजस्थानी व्यंजनों का आनंद लेने का अवसर मिल रहा है।
मेले में जयपुर की ब्लू पॉटरी, सांगानेरी व बगरू प्रिंट, कोटा डोरिया साड़ी, सवाई माधोपुर की लाख की चूड़ियाँ, राजसमंद की मीनाकारी एवं मोलेला पॉटरी, बीकानेर के अचार व नमकीन, अलवर का टेराकोटा, भरतपुर के जूट उत्पाद, नागौर की कैर, सांगरी व कसूरी मेथी, बांसवाड़ा के तीर-कमान, श्रीगंगानगर के सॉफ्ट टॉयज, दौसा एवं जालोर की राजस्थानी जूतियाँ विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।
मेले में आगंतुक राजस्थानी भोजन दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्जी, केर-सांगरी, बाजरे व ज्वार की रोटी, कढ़ी-पकोड़ी, घेवर, मालपुआ, फेणी और रबड़ी जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों का लुफ्त भी उठा रहे हैं।
इस अवसर पर राज्य मिशन निदेशक श्रीमती नेहा गिरि एवं परियोजना निदेशक (प्रशासन) श्रीमती प्रीति सिंह सहित अन्य विभागीय अधिकारी और स्वयं सहायता समूहों की महिलाए उपस्थिति रही।
———//नेमीचन्द—आशुतोष/ब्रजेश