Wednesday, March 9, 2022

इन्दिरा रसोई योजना अर्थात पौष्टिकता से भरपूर सस्ता भोजन

 एक विशेष लेख जिसमें है इस शानदार योजना की पूरी जानकारी 

 4 करोड़ 46 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराती है यह योजना 


जयपुर
: 7 मार्च 2022: (राजस्थान स्क्रीन ब्यूरो)::

प्रदेश व देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जब कोरोना वायरस की प्रथम लहर ने वर्ष 2020 के शुरूआत से ही पूरे मानव जीवन को झकझोर के रख दिया था और इस भयावह बीमारी से पूरे प्रदेश व देश में असंख्य व्यक्तियों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग थे। राजस्थान में इस भयावह बीमारी की रोकथाम के लिए जब लॉकडाउन घोषित किया अनेक लोगों का रोजगार भी छीन गया था, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दो वक्त के भोजन के लिए भी संघर्ष करना पड़ा और जीवनयापन करना दूभर हो गया था।

ऐसी विषम परिस्थितियों में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने राज्य की जनता के प्रति सरकार आपके के साथ की भावना से ओतप्रोत अपनी वचनबद्धता का परिचय देते हुये राज्य के 213 शहरी क्षेत्रों में 358 रसोई के माध्यम से 20 अगस्त, 2020 से ’’कोई भूखा न सोए’’ के लक्ष्य से देश की महान नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी जिन्होंने अपना पूरा जीवनकाल निराश्रितों की सहायता एवं सेवाभाव में लगा दिया था उन्हीं के नाम पर इंदिरा रसोई योजना का शुभारम्भ किया। इंदिरा रसोई की शुरूआत से राजस्थान की एक विकसित तस्वीर उमडकर सामने आई है।

 इंदिरा रसोई योजना में क्या खास हैं?

इंदिरा रसोई के तहत शहर के विभिन्न हिस्सों में गरीब एवं निराश्रित, कामगार, प्रवासी मजदूरों, शहरी गरीबों, जरूरतमंदों आदि को मात्र 8 रुपये में भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दोपहर का भोजन प्रातः 8ः30 बजे से मध्यान्ह 1ः00 बजे तक एवं रात्रिकालीन भोजन सायंकाल 5ः00 बजे से 8ः00 बजे तक उपलब्ध कराये जाने का सुनिर्णय लिया। 

योजना की खास बात यह है कि इसमें सम्मान पूवर्क बैठाकर शुद्ध भोजन खिलाया जाता है

भोजन मेन्यू में मुख्य रूप से प्रति थाली 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती एवं आचार सम्मिलित है जो कि सामान्य रूप से एक व्यक्ति के भोजन की शारीरिक आवश्यकता की पूर्ति हेतु निर्धारित मापदंडों के अनुरूप भोजन की आपूर्ति की जाती है। योजना की स्वर्णिम सफलता इसी से प्रतीत होती है कि भोजन वाहनों का समयानुसार इंतजार एवं वाहनों के समक्ष लोगों की लम्बी कतार लोगों की जठराग्नि को संतुष्टि पूर्ण तृप्त करने की गवाही स्वयं ही देती है। इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यह योजना अपने निर्धारित उद्देेश्यों को सुव्यवस्थित एवं गतिशीलता के साथ प्राप्त करने को अग्रसर सफलतम योजना के रूप में स्थापित हो रही है। राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन की अवधि में योजना के तहत 65 लाख 4 हजार से भी ज्यादा जरूरत मंदों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध करवाया गया। इसी का परिणाम है मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने अपने वर्ष 2022-23 के बजट में इंदिरा रसोई की संख्या प्रदेश में बढ़ाकर एक हजार करने की घोषणा की है। 

पारदर्शिता के साथ की जा रही है मॉनिटर्रिंग

इंदिरा रसोई में पारदर्शिता के सिद्धांत का सुनिश्चितता बेहतर उपयोग किया गया हैं, इंदिरा रसोई का प्रत्येक वाहन जीपीएस सिस्टम से जुड़ा है, और जैसे ही कोई लाभार्थी रसोई काउंटर पर आता है, स्वचालित रूप से उसका फोटा खिंच जाता है, और तत्काल प्रभाव से उसके दिए गए मोबाइल नंबर पर एक संदेश भेजा जाता है, जिसमें इंदिरा रसोई में आने और भोजन स्वीकार करने के लिए लाभार्थी को धन्यवाद दिया जाता है। इस प्रक्रिया से पारदर्शिता बनी रहती है। लाभार्थियों की सही संख्या ज्ञात हो जाती है वहीं दूसरी ओर योजना में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार या कदाचार से बचा जा सकता है, जिससे योजना के व्यवस्थित और निर्बाध निष्पादन की सुनिश्चितता संभव होती है। 

योजना के सफल संचालन से मिला रोजगार

मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गयी यह योजना 100 करोड़ रुपये के प्रावधान एवं चयनित एन.जी.ओ. के सुदृढ़ नेटवर्क एवं सामंजस्य की मिसाल एवं मुख्यमंत्री के जनता के प्रति स्नेह एवं प्रतिबद्धतापूर्ण शासकीय एवं प्रबंधकीय निर्णयों की सकारात्मकता एवं सार्थक क्षमता को परिभाषित करती है। इंदिरा रसोई योजना द्वारा गरीब एवं निराश्रित, कामगार, प्रवासी मजदूरों, शहरी गरीबों, जरूरतमंदों आदि को भोजन कराने के उद्देश्यों के साथ-साथ रोजगार सृजन के रूप में भी यह मील का पत्थर साबित हुयी है। इस योजना से असंख्य रसोइयों, वाहन चालक एवं वितरण हेतु व्यक्तियों को रोजगार की उपलब्धता के साथ जीवन स्तर में स्वीकारात्मक सुधारों की प्राप्ति हुयी है। 

योजना का लक्ष्य 4.87 करोड़ लोगों को लाभान्वित करना

योजना के अन्तर्गत प्रतिदिन 1.34 लाख व्यक्ति एवं प्रतिवर्ष 4.87 करोड़ लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है तथा आवश्यकता के अनुरूप इसे और बढ़ाया जा सकता है। इसी तरह प्रत्येक रसोई संचालन हेतु एकमुश्त 5 लाख रुपये आधारभूत एवं 3 लाख रुपये प्रतिवर्ष आवर्ती व्यय का प्रावधान किया गया है। 

फीडबैक से की जा रही है सधन मॉनीटरिंग

मुख्यमंत्री के संकल्प ’’कोई भी भूखा नहीं सोए’’ को साकार करने के लिए संयुक्त रूप से नगरीय विकास एवं आवासन, स्वायत्त शासन विभाग ने जिम्मेदरी ली है। नगरीय विकास एवं आवासन, स्वायत्त शासन मंत्री श्री शांति धारीवाल के निर्देश पर स्वायत्त शासन विभाग ने योजना को अविलम्ब पूरे राज्य में लागू किया और नगरीय निकाय रसोइयों की प्रतिदिन संचालन की नियमित मॉनिटरिंग एवं समीक्षा कर रहे है।

लगभग 4.46 करोड़ लाभान्वित

इसी तरह प्रदेश के समस्त 10 नगर निगम क्षेत्रों में 87 रसोईघर संचालित हैं तथा नगरपरिषद क्षेत्रों में 102 एवं 169 नगर पालिका क्षेत्रों में 169 रसोई घर संचालित किये जा रहे हैं। योजना के अन्तर्गत नगर निगम क्षेत्र रसोइघरों में 300 थाली दोपहर को एवं 300 थाली रात्रि भोजन में जरूरतमंदों को उपलब्ध कराई जा रही है। इसी तरह नगर परिषद क्षेत्रों में भी दोपहर को 150 एवं रात्रि भोजन में भी 150 थाली तथा नगर पालिका क्षेत्र की रसोइयों में भी 150 थाली दोपहर को एवं 150 ही थाली रात्रि भोजन में उपलब्ध कराई जाती है। राज्य सरकार के अथक प्रयासों से योजना के तहत लगभग 4 करोड़ 46 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध करा लाभान्वित किया जा चुका है।

हम गरीबों की दुआ से ही गहलोत साहब हुए स्वस्थ

हम गरीबों का इन विषम परिस्थितियों में ध्यान रखकर हमें वक्त पर भोजन दिया। उन्होंने हमारा ध्यान रखा भगवान  ने उनका ध्यान रखा, भोजन प्राप्त करने वाले फूलचन्द एवं डाली देवी का कहना है गहलोत साब ने हम गरीबों का ध्यान रखा उसी वजह से आज दो बार कोरोना संक्रमित होने तथा हृदय रोग से ग्रस्त होने के बाद भी हमारी दुआ से गहलोत साब स्वस्थ है। भगवान ने उन्हें लम्बी उम्र प्रदान करें। 

-के.एल. मीना

उपनिदेशक (समाचार)