Friday, June 23, 2023

राजस्थान के लोक गीत संगीत में एक विशेष जादू है

यह गीत संगीत मन की भाषा को बहुत खूबसूरती से सामने लाता है 


श्री गंगा नगर
: 23 जून 2023: (राजस्थान स्क्रीन डेस्क)::

राजस्थान के लोकगीत और संगीत में कोई ऐसा जादू है जो उन लोगों को भी अपनी तरफ शिद्दत से आकर्षित करता है जिन्होंने इसे पहली बार सुना होता है। इस गीतन संगीत में एक अलग ही तरह का आकर्षण है जो आपको हर बोल के साथ अपना बनाता चला जाता है। हर शब्द मन में कुछ अहसास जगाता है। 

राजस्थान के लोकगीत और संगीत में छुपे हुए प्रभाव वास्तव में मानवीय अनुभव, सांस्कृतिक धार्मिकता और प्रकृति के साथ मिलकर एक विविधतापूर्ण और प्रशांत माहौल प्रदान करते हैं। इन गीतों के माध्यम से राजस्थानी जनता अपनी भूमिका, संस्कृति, प्रेम, गर्व और जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करती है। इन गीतों में राजस्थान के जनजीवन और सांस्कृति का भी अहसास होता है। इन गीतों को सुनते सुनते व्यक्ति राजस्थान के जनजीवन की  कथाओं में खो जाता है। इन गीतों की कल्पना ही राजस्थान के इतिहास में छुपी हुई बहादुरी का परिचय करवाने लगती है। इन्दगी के उसी रंग में रंगति हुई वहीँ पर ले जाती है।  

शायद इसकी एक वजह यह भी हो कि राजस्थान के लोक गीतों में सदियों से प्रचलित रागों और तालों का बहुत ही सूंदर  प्रयोग होता है। ये गीत आमतौर पर देसी भाषा में गाए जाते हैं और संगीत, ताल, गीतकारी और गायकी में स्थानीय परंपराओं का पालन करते हैं। जिस जिस ने भी इस गीत संगीत को कभी कभर भी सुना है वह इस बात को अच्छी तरह जनता समझता है। यहां कुछ प्रसिद्ध राजस्थानी लोकगीतों के उदाहरण दिए गए हैं:

बहुत से अन्य प्रेम गीतों की तरह "ओ राणी" भी काफी गाया जाता है। यह एक प्रसिद्ध राजस्थानी लोकगीत है जिसमें प्रेम और प्रेमिका के बीच की कठिनाईयों को बहुत ही सुंदरता से ब्यान किया गया है। इसमें प्रेम की शिद्दत एक भी अहसास होता है और समाज से जुडी दीवारों का भी। समाज से संघर्ष करते हुए कैसे पाना है अपना प्रेम इसका अहसास करवाते हैं राजस्थानी गीत। 

इसी तरह "गोरी नागोरी"-यह एक राजस्थानी लोकगीत है जिसमें गोरा और नागोरी की प्रेम कहानी का वर्णन किया गया है। सभी विवादों के बावजूद इस गीत की जानीमानी गायका गोरी ने ख्याति की शिखरें छुई और बार बार छुईं। गोरी इन लोकगीतों के ज़रिए अपनी कला एयर गायन के प्रदर्शन को गांव की चौपाल से निकाल कर यूनिवर्स्टियों तक ले गई। गोरी नागौरी को बचपन से ही डांस में काफी रूचि थी। 9 वर्ष की उम्र में उन्होंने डांस सीखना शुरू कर दिया था। गौरतलब है कि वह अपने स्कूल में होने वाली डांस प्रतियोगिता में बढ़ चढ़-कर हिस्सा लिया करती थी। श्रोताओं और दर्शकों से मिलने वाली प्रशंसा के चलते वह अपनी कला में निखार लाती गई। जिस जिस बात को आम जनता पसंद करती रही हर उस बात गोरी नेअपनाया और अपनी कला में बहुत ही खूबसूरती से दिखाया।  वह राजस्थानी गीतों पर बोल्ड डांस करने के लिए फेमस हैं। उन्हें अक्सर कई मंचों पर बोल्ड डांस करते हुए देखा जाता है। वह हरियाणा की  सपना चौधरी की तरह राजस्थान में प्रसिद्ध है। वह राजस्थानी और हरियाणवी गानों पर अनोखे तरीके से डांस करती है। एक बार जब गोरी नागौरी ने टीवी पर शकीरा का डांस देखा तब वो उनसे इतनी प्रभावित हुईं कि, गोरी ने शकीरा के डांस स्टेप्स को फॉलो करना शुरु कर दिया। उनका डांस कोलंबिया की सिंगर-डांसर शकीरा से काफी मिलता जुलता है, इसलिए गोरी नागौरी को लोग राजस्थानी शकीरा कहकर भुलाते हैं।

एक और गीत "केसरिया बालम" भी बहुत लोकप्रिय हुआ है। इसकी भी अलग ही पहचान बनी हुई है। यह गीत राजस्थानी संगीत की प्रमुख पहचान माना जाता है। इसमें प्रेम के भाव को बहुत ही गहनता और संवेदना के साथ व्यक्त किया गया है और यह आमतौर पर सांगणेर शहर के नागरिकों द्वारा गाया जाता है। इसकी लोकप्रियता भी काफी रही है। 

प्रेम पर राजस्थान में बहुत कुछ लिखा और गाया गया है। लोकप्रिय गीतों में से एक गीत है-"गोरी तेरे जिया"- यह लोकगीत जैसलमेर क्षेत्र में प्रसिद्ध है और इसमें प्रेमिका को अपने प्रेमी के लिए विनती करते हुए व्यक्ति की भूमिका है। उस विनती और निवेदन में गज़ब की अभिव्यक्ति का अहसास होता है। तन के स्टेप्स मन के सभी उतराव चढ़ावों ओके दिखते हैं और महसूस भी करवाते हैं। 

कई लोक साज़ भी राजस्थानी गीत संगीत के प्रदर्शन के समय प्रयोग में लाए जाते हैं। राजस्थान के संगीत में धोल, नगाड़ा, सरंगी, शेनाई, मुरली, वीणा और खरताल जैसे वाद्य यंत्रों का उपयोग होता है। ये संगीत प्रशंसा गीत, भक्तिगीत, रागिनियों, आरतियों, ताराना और घूमरी जैसे विभिन्न प्रकारों में होता है। इन सभी से एक अलग सा ही रंग  बंधता चला जाता है। 

इन गीतों के गायन का मुख्य उद्देश्य संस्कृति की जागरूकता, मनोरंजन और जनता के बीच एक सामंजस्य बनाना है। राजस्थान के लोकगीत और संगीत को राजस्थानी संस्कृति की महत्वपूर्ण पहचान माना जाता है और इनका अद्यतन और संरक्षण संगीत प्रेमियों द्वारा किया जाता है।

Monday, March 27, 2023

अब सुन और बोल पाएगा नन्हा रूद्रप्रताप

Bikaner: 27th March 2023 at 04:10 PM

राजस्थान से सफलता की और नई कहानी

*14 माह के बच्चे का हुआ सफल कॉक्लियर इम्पलांट 

*बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में ईएनटी विभाग की उपलब्धि

*लाखों रूपए का उपचार चिरंजीवी योजना के तहत हुआ निःशुल्क

बीकानेर: 27 मार्च 2023:(राजस्थान स्क्रीन डेस्क)::

राजस्थान के इतिहास की सच्ची कहानियां आज भी आकर्षित और प्रभावित करती हैं। इन कहानियों में ज़िंदगी के ऐसे दुःख भी रहे जिनकी कल्पना मात्र से इंसान सिहर उठे। इसके साथ ऐसे संघर्ष भी रहे जिन्होंने इन दुख्खों को बारी बारी हारने का इतिहास भी रचा। यह बेहद गौरवशाली सिलसिला आज के आधुनिक युग में भी जारी है बस थोड़ा अंदाज़ बदल गए हैं और रंग रूप भी। नै कहानी आई है बीकानेर से। यह सच्ची कहानी इस बात की याद भी दिलाती है कि ज़िंदगी हर कदम इक्क नई जंग है। यह जंग छोटी उम्र में भी सामने आ सकती है और वृध्दा अवस्था में भी। साथ ही यह कहानी बताती है की संघर्ष और कोशिश आपको विजय श्री दिला ही देती है। इसलिए न तो कभी कोशिश छोड़िए और न ही संघर्ष। पढ़ कर देखिए इस सच्ची कहानी को। 

सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध पीबीएम अस्पताल, बीकानेर के ईएनटी विभाग ने 14 माह के रूद्रप्रताप के दोनों कानों में सफल कॉक्लियर इम्प्लांट करते हुए उसे सुनने व बोलने के योग्य बनाया। विभाग के सर्जन डॉ. गौरव गुप्ता ने मुख्यमंत्री चिंरजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मासूम का ऑपरेशन किया। अस्पताल की प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक डॉ. गुंजन सोनी ने बताया कि अस्पताल के ईएनटी विभाग की यह बड़ी उपलब्धि है। 

डॉ. सोनी ने बताया कि इस प्रकार के ऑपरेशन में आम तौर पर लाखों रूपये का खर्च आता है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से  चिकित्सा क्षेत्र में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू किए जाने के बाद गरीब, मध्यमवर्गीय परिवारों को भारी-भरकम खर्च करने की आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि ऐसे ऑपरेशन पूर्णतया निःशुल्क किये जा रहे हैं।

जन्मजात बहरेपन से ग्रसित था रूद्र 

नाक, कान, गला विभाग के वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. दीपचन्द ने बताया कि गांव खाकोली, जिला सीकर निवासी बालक रूद्रप्रताप जन्म से ही सुनने व बोलने की अक्षमता से ग्रसित था। मरीज के परिजनों ने नाक, कान व गला रोग विभाग में संपर्क किया। विभिन्न जांचें करवाने से पता चला कि इस बच्चे का उपचार कॉक्लियर इम्प्लांट से संभव है। 

मरीज की उम्र का भी महत्व

ई.एन.ओ. सर्जन डॉ. गौरव गुप्ता ने बताया कि कॉक्लियर सर्जरी में मरीज की उम्र का काफी महत्व होता है। मरीज का जितनी कम उम्र में कॉक्लियर इम्प्लांट हो जाए, उसका परिणाम उतना ही अच्छा रहता है। रूद्रप्रताप को 8-9 माह की उम्र में ईएनटी विभाग में उपचार के लिए लाया गया, इसलिए उसका कॉक्लियर इम्प्लांट संभव हो सका। अब इस बच्चे को दो वर्ष की स्पीच थैरेपी भी चिरंजीवी योजना के अंतर्गत निःशुल्क ही जाएगी, जिससे यह बच्चा सामान्य बच्चों की तरह सुन व बोल सकेगा। 

टीम का रहा विशेष सहयोग

ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. दीपचंद के निर्देशन में हुए इस सफल ऑपरेशन में डॉ. गौरव गुप्ता, डॉ. गीता सोलंकी, डॉ. सुभाष, डाया, डॉ. स्नेहलता, निश्चेतन विभाग के डॉ. विशाल देवड़ा, डॉ. इशानी, डॉ. प्रशांत एवं  नर्सिंग स्टाफ इंचार्ज वीणा व्यास, संतोष, अशोक तथा ओटी कर्मी हनुमान व नरेन्द्र शामिल थे। इसके अतिरिक्त इम्प्लांट की कार्यप्रणाली की जाँच हेतु स्पीच थैरेपिस्ट कौशल शर्मा व सागरिका भी उपस्थित रहे ।

------  करीना शर्मा/चन्द्रशेखर/कविता जोशी


Tuesday, December 27, 2022

इंदिरा रसोई योजना निभा रही है इस वायदे को कि कोई भूखा न सोए

27th December 2022 at 05:46 PM

इस बार चर्चा इंदिरा रसोई योजना की गुणवत्ता और लोकप्रियता पर 


जयपुर
: 27 दिसंबर 2023: (राजस्थान स्क्रीन डेस्क)::

इस पोस्ट की विशेष सामग्री मॉडल स्टेट राजस्थान के उस अभियान पर है जिस के अंतर्गत राजनीति से ऊपर उठ कर जनसेवा ही सबसे पहले रखा गया है। इसी के अंतर्गत ध्यान रखा जाता है कि सबका सम्मान हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यह एक अनूठी तस्वीर है जो बता रही है किस तरह से आगे बढ़ता जा रहा है आज का आधुनिक राजस्थान। इंदिरा रसोई उन लोगों के लिए एक विशेष आकर्षण भी है जिन्होंने राजस्थान में जा कर सच होते देखा है वह संकल्प कि अब कोई भूखा न सोए। धर्मकर्म की इस धरना और भावना को सियासत में भी साकार होते देखना कितना सुखद लगता है। अब महसूस होता है कि आज के इस भयानक कलियुग में भी सतयुग लौट सकता है। 

राज्य में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा शुरू की गई इंदिरा रसोई योजना के तहत ‘कोई भूखा ना सोए’ की संकल्पना को चरितार्थ किया जा रहा है। राज्य में 20 अगस्त, 2020 को प्रदेश के 213 नगरीय निकायों में 358 रसोइयों के माध्यम से इस योजना की शुरुआत की गई। इस वर्ष 18 सितम्बर को जोधपुर से इंदिरा रसोई योजना के तहत 512 नवीन इंदिरा रसोइयों का शुभारम्भ किया गया। वर्तमान में 870 इंदिरा रसोई संचालित की जा रही है जिन्हें बजट घोषणा में बढाकर 1 हजार किया गया है।

इंदिरा रसोई केन्द्रों पर मात्र 8 रूपये में पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा हैं तथा प्रति थाली 17 रूपये का अनुदान राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा हैं।  भोजन में प्रति थाली 100 ग्राम दाल 100 ग्राम सब्जी 250 ग्राम चपाती और अचार शामिल है। इस योजना के तहत दोपहर का भोजन सुबह 8ः30 बजे से दोपहर 1ः00 बजे तक एवम रात्रिकालीन भोजन शाम 5ः00 बजे से रात 8ः00 बजे तक उपलब्ध करवाया जाता है। 

इंदिरा रसोई योजना के तहत अब तक 7 करोड़ 42 लाख लोगों को भोजन की थाली परोसी जा चुकी है, वर्तमान में संचालित 870 इंदिरा रसोई की संख्या बढाकर 1000 करने का लक्ष्य रखा गया है। 

जालोर ज़िले में वर्तमान में 15 इंदिरा रसोई संचालित है, जिसमें जालोर नगर परिषद में 7, भीनमाल नगर पालिका  में 4, सांचौर नगर पालिका  में 3 एवं रानीवाडा नगर पालिका में 1 इंदिरा रसोई संचालित की जा रही हैं। इंदिरा रसोई में मात्र 8 रू में उपलब्ध भोजन होने के कारण जरुरतमंदों एवं गरीब तबकों को उचित सहायता मिलती है।

जालोर जिले में 4 नगरीय निकायों में संचालित 15 इंदिरा रसोई में इस वर्ष माह नवम्बर तक कुल 125.75 प्रतिशत उपयोगिता के साथ कुल 11 लाख 74 हजार 744 भोजन थाली लोगों को परोसी गई हैं।  अनुमान लगाएं कि कितने लोगों को भूखा सोने से बचा  लिया। 

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Thursday, December 22, 2022

इस तरह बन रहा है सचमुच में राजस्थान एक मॉडल स्टेट

22nd December 2022 at 05:28 PM

जयपुर के जय सिंह को मिला है बिलकुल ही नया जीवन

जयपुर: 22 दिसम्बर 2022: (राजस्थान स्क्रीन डेस्क)::

आम जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए राजस्थान की सरकार नए रास्ते भी बना रही है और नई परम्पराएं भी स्थापित कर रही है। जिसके पास इलाज के लिए न धन होता ही और न ही मेडिसिन उसे ही पता होता जीना कितना मुश्किल है! बीमारी से लड़ना कितना कठिन है। मौत के मुंह से वापिस आना क्या होता है। 

इस बार की विशेष सामग्री उन कदमों के विवरण पर आधारित है जो राजस्थान को एक  मॉडल स्टेट बनाने के लिए उठाए जा रहे हैं। इन कदमों का गहरा मकसद जनसेवा ही है। देश में एक ऐसी मिसाल पैदा करना कि ऐसा भी हो सकता है। इस सेवा, सहयोग और सहायता के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना कि  सबका सम्मान भी बनाए रखना है, स्नेह संबंध भी विकसित करने हैं और यह भी सभी को दिखाना है कितनी तेज़ी से आगे बढ़ता जा रहा है राजस्थान। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना इन्हीं कदमों में से एक है। इसका फायदा कितने लोगों को पहुँच रहा है इसकानुमान आप स्वयं लगा लीजिए। 

खानपुरा में बास गांव के जय सिंह को मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना ने नया जीवन दिया है। गौरतलब है कि 60 वर्षीय जय सिंह सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए थे। जिससे उनके दाएं पैर में गंभीर फ्रैक्चर हो गया। परिजन उन्हें जयपुर के ही एक निजी अस्पताल में लेकर आए। अस्पताल में प्राथमिक उपचार एवं जांच के आधार पर उनके पैर में टीवीयल हड्डी का फ्रैक्चर पाया गया।

इलाज का खर्च लाखों में था और जय सिंह के परिवार की माली हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी। इस मुश्किल वक्त में सहारा बनी मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना। योजना के तहत चिकित्सकों ने पीड़ित जय सिंह को अस्पताल में भर्ती कर उपचार प्रारंभ किया। गत 14 नवम्बर को उनका ऑपरेशन किया गया। डॉ. रहीम और उनकी टीम द्वारा किए गए ऑपरेशन के बाद जयसिंह को दर्द से निजात मिल गई। अब उनके पैर में काफी सुधार है। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की वजह से उन्हें इलाज करवाने में काफी आसानी हुई एवं एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ। वे और उनका परिवार मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना और अस्पताल प्रशासन को हार्दिक धन्यवाद देते हैं, जिनकी वजह से उन्हें निशुल्क उपचार मिला और बीमारी से निजात मिल सकी।

मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना बनी मन्नू का भी संबल

मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना आम जनता के जीवन में कैसे खुशहाली ला रही है, इसकी सबसे बड़ी मिसाल है सिरोही निवासी 13 वर्षीय मन्नू गुर्जर। मन्नू काफी दिनों से पेट दर्द से पीड़ित थी, दर्द धीरे-धीरे बढ़ता गया। बच्ची दर्द से बहुत परेशान थी और इस कारण उसे बुखार भी आ रहा था। घर की आर्थिक स्थिति इलाज की इजाजत नहीं दे रही थी। लेकिन जयपुर में जिला प्रशासन की सहायता से मन्नू को जयपुर के ही एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

उपचार के बाद मन्नू के स्वास्थ्य में सुधार हुआ। मन्नू के पिता मुरलीधर ने बताया कि इस योजना की वजह से उन्हें इलाज करवाने में काफी आसानी हुई एवं एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ। वे कहते हैं किसी की पीड़ा में सहारा बनने से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मानवता के इसी धर्म को राज्य सरकार बखूबी निभा रही है।  ----

Wednesday, November 23, 2022

राजस्थान में मौसम की मेहरबानी-खिंचे चले आ रहे हैं सैलानी

 23rd November 2022 at 04:32 PM

कोरोना के बाद फिर से लौट रही हैं पुरानी रौनकें 

जयपुर: 23 नवंबर 2023:  (राजस्थान स्क्रीन डेस्क)::

जैसे पतझड़ के बाद बहार भी आती है उसी तरह उदासियों के बाद खुशियां भी लौट आती हैं। पढ़िए इस विशेष लेख में इसी तरह की हकीकतें। एक झलक  कि इस प्रदेश में किस तरह साथ-साथ बढ रहे हैं सर्दी और सैलानी।  माहौल पर पर्यटन का जादू शिखर पर है।


सर्दी के साथ ही बढ़ पर्यटन का जादू 

सर्दी के साथ साथ बढ़ता जा रहा है पर्यटन का जादू। सैलानी खींचे चले आ रहे हैं इस प्रदेश की तरफ। प्रदेश में जैसे-जैसे सर्दी का मौसम आगे बढ़ रहा है राजधानी जयपुर में सैलानियों की चहलकदमी भी बढ़ती जा रही है। कोरोना महामारी के कारण प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की आवक रूक गई थी लेकिन अब हालात सामान्य हो चुके हैं और एक बार फिर गुलाबी नगरी पर्यटकों की भीड़ के रंग में रंगी नजर आने लगी है। राजधानी जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों जिनमें आमेर दुर्ग, जलमहल, अल्बर्ट हॉल,जंतर-मंतर पर सैलानियों की अच्छी खासी भीड देखने को मिल रही है। राजधानी जयपुर में देश ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी आना शुरू हो गए हैं।

लौट रही हैं कोरोना से पहले वाली रौनकें 

कोरोना महमारी के दौर में राजधानी जयपुर समेत पूरे प्रदेश में ही पर्यटन स्थलों पर प्रवेश बन्द कर दिए गए थे। पर्यटन स्थलों के बन्द होने से ना सिर्फ यहां सन्नाटा पसर गया बल्कि इनके आस पास के व्यापारियों का भी नुकसान हुआ लेकिन अब पर्यटन स्थलों की रौनक धीरे-धीरे लौटने लगी है। जिससे शहर की खूबसूरती में चार चांद लग गए हैं ।

धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा पर्यटन  

साल 2022 आते आते प्रदेश का पर्यटन फिर पटरी पर लौट आया है। साल 2020 में प्रदेश में 155.63 लाख पर्यटकों का आगमन हुआ जिनमें से 151.17 लाख देशी पर्यटक थे तो वहीं 4.46 लाख विदेशी पर्यटकों का आगमन हुआ। लेकिन अब धीरे-धीरे इस संख्या में इजाफा हो रहा है वर्ष 2021 में कुल 220.24 लाख पर्यटकों ने प्रदेश के पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया जिनमें से देशी पर्यटकों की संख्या 219.89 लाख थी तो वहीं 0.35 लाख  विदेशी पर्यटक घूमने आए। हाल के आंकडों को देखें तो साल 2022 में सितम्बर माह तक कुल 757.26 लाख पर्यटक प्रदेश का भ्रमण कर चुके हैं जिनमें देशी पर्यटकों की संख्या 755.62 लाख है तो वहीं विदेशी पर्यटक 1.64 लाख हैं।  पर्यटकों की बढती संख्या से ना सिर्फ पर्यटन स्थलों की खूबसूरती लौट रही है बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिल रही है।

राजस्थान को करीब से देखने का सपना पूरा हुआ

उड़ीसा से राजस्थान घूमने आईं दिव्या साहू का कहना है कि उनका बचपन से ही राजस्थान घूमने का सपना था क्योंकि राजस्थान की छवि उनके  मन में किलों और महलों वाले प्रदेश की थी,उन्होंने बताया कि राजस्थान देखकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है। चित्तौड़गढ दुर्ग देखने के बाद वे आमेर दुर्ग देखने जयपुर आई हैं। दिव्या कहती हैं कि जयपुर वास्तव में बहुत सुन्दर शहर है वे यहाँ से बहुत सारी यादें लेकर जा रहीं हैं।

प्रदेश की धरोहर को देखकर हर्ष का अनुभव होता है

ऐसा ही कुछ कहना है आमेर जयपुर के रहने वाले वीरेन्द्र का। वीरेन्द्र बताते हैं कि हमें गर्व होता है कि हम दुनिया में मशहूर जयपुर शहर के निवासी हैं। जब से जयपुर परकोटे को यूनेस्को विश्व हैरिटेज में शामिल किया गया है तब से उनमें जयपुर शहर के बाहर के दोस्त जयपुर घूमना चाहते थे आज वे अपने इन दोस्तों के साथ जयपुर घूमने आए हैं। वीरेन्द्र ने कहा कि गुलाबी नगर को इस तरह से संरक्षित किया गया है कि पर्यटन स्थलों को घूमकर ना सिर्फ प्रदेश के बाहर के लोगों को बल्कि यहां के निवासियों को भी प्रदेश की धरोहर को देखकर हर्ष का अनुभव होता है। ----

Tuesday, August 2, 2022

राजस्थान: सफलता की कहानी- एक नई सत्य कथा के साथ

 02-अगस्त-2022, 03:15 PM 

 उदयपुर:बड़गांव की चार कॉलोनी वासियों को वर्षों बाद मिला अपने घरों के पट्टों का हक 


उदयपुर
: 2 अगस्त 2022:  (राजस्थान स्क्रीन ब्यूरो)::

जिनके पास अपना घर नहीं होता उनसे पूछ कर देखना घर न होने का दर्द। जब किसी का अपना घर बन जाता है तो उसकी ख़ुशी का भी कोई ठिकाना नहीं रहता। इस ख़ुशी का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। ज़ेह ख़ुशी मिली है राजस्थान में उदयपुर के एक गांव में रहने वाले लोगों को।  

उदयपुर के बड़गांव की चार कॉलोनीवासियों को करीब तीस सालों बाद पट्टों का हक मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। अब ये सभी लाभार्थी मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त कर रहे हैं।

यूआईटी सचिव बालमुकुंद असावा ने बताया कि न्यू मनोहरपुरा कॉलोनी में राजकीय भूमि सम्मिलित होने से इस कॉलोनी में पट्टे जारी नहीं हो पा रहे थे। प्रशासन शहरों के संग अभियान में शिथिलता प्रदान की गई। सामुदायिक भवन परशुराम कॉलोनी, देवाली में शिविर आयोजित किया गया। शिविर में कृष्णा कॉलोनी, न्यू कृष्णा कॉलोनी, महालक्ष्मी नगर एवं न्यू मनोहरपुरा क्षेत्र में विगत 25-30 वर्षों से निवासरत लाभार्थियों को कुल 235 पट्टे एवं 56 भूखण्डों के आवंटन पत्र जारी किये गए। पट्टों का हक मिलने से निवासियों की खुशी का ठिकाना न रहा एवं उन्होंने सरकार का आभार व्यक्त किया। इसके अतिरिक्त नामान्तरण के 49 प्रकरणों, भवन मानचित्र अनुमोदन के 192 प्रकरण, लीज जमा करने के 216 एवं उपविभाजन/एकीकरण के 9 प्रकरणों का निस्तारण किया गया।

यूआईटी ने अब तक दिए 10 हजार 218 पट्टे

नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर द्वारा प्रशासन शहरों के संग अभियान के अन्तर्गत अब तक कुल 10 हजार 218 पट्टे, 5 हजार 412 भवन निर्माण स्वीकृति, 271 भूखण्डों के उपविभाजन/एकीकरण, 5102 नामान्तरण, 4693 लीज संबंधी प्रकरणों का निस्तारण किया जा चुका है। 

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कमलेश शर्मा, सहा. निदेशक, उदयपुर


Monday, August 1, 2022

‘जनता का बजट, जन-जन तक’ कार्यशाला का आयोजन

  01-अगस्त-2022, 05:06 PM

जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में सजा जनकल्याणकारी सूचनाओं का संसार

 बजट की योजनाओं के क्रियान्वयन पर हुई विशेष चर्चा 


अधिका
रियों ने सामाजिक संगठनों व सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की 

जयपुर: 1 अगस्त 2022: (राजस्थान स्क्रीन ब्यूरो)::

बजट का फायदा तभी है अगर वह आम जनता के ज़्यादा से ज़्यादा काम आ सके। बजट बनाते वक्त इस क्षेत्र के विशेषज्ञ इस बात का ध्यान भी रखते हैं लेकिन फिर भी कोई न कोई कमी पेशी अगर रह जाए तो उसे विशेष चर्चाओं से दूर किया जाता है। इसी तरह की एक ख़ास चर्चा जयपुर मुर में भी हुई। 

इस खास चर्चा में जनकल्याणकारी बजट 2021-22 व 2022-23 की योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक अभिनव पहल की गई है। वित्तीय विभाग की ओर से सोमवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में ‘जनता का बजट, जन-जन तक’ कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न विभाग के अधिकारियों ने सामाजिक संगठनों व सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन पर फेस टू फेस चर्चा की।

कार्यशाला में आयोजित सत्रों में विभिन्न विभाग के अधिकारियों ने सामाजिक संगठनों व सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों को बजट घोषणाओं के बारें में विस्तृत रूप से चर्चा की। राज्य के 352 ब्लॉक से आए प्रतिनिधियों ने अधिकारियों को महत्वपूर्ण घोषणाओं पर सुझाव दिए। वहीं, अधिकारियों ने बजट घोषआओं के क्रियान्वयन में हुई प्रगति की जानकारी दी। विभिन्न प्रस्तुतीकरणों के माध्यम से आमजन के कल्याण के लिए किए निर्णयों के बारें में उन्हें अवगत करवाया गया। साथ ही, प्रतिनिधियों से कई मुद्दों पर चर्चा कर उनकी जिझासाओं का समाधान किया।

इस यादगारी कार्यशाला में महात्मा गांधी नरेगा योजना, मुख्यमंत्री युवा संबल योजना, महात्मा गांधी अंग्रेजी मिडियम विद्यालय, कृषि बजट, मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना, राइट टु हेल्थ बिल, मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना, मुख्यमंत्री किसान पेंशन योजना, पालनहार योजना, इंदिरा रसोई योजनाओं इत्यादि पर सामाजिक संगठनों व सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से चर्चा की गई।

रोज़गार (ग्रामीण विकास, स्वायत्त शासन विभाग), युवा एवं खेल विकास (युवा एवं खेल विकास विभाग), शैक्षिक स्तर एवं गुणवत्ता (शिक्षा एव उच्च शिक्षा विभाग), कृषि विकास एवं कृषक कल्याण (कृषि, सहकारिता, पशुपालन एवं ऊर्जा विभाग) निरोगी एवं चिरंजीवी राजस्थान (स्वास्थ्य विभाग), सामाजिक सुरक्षा एवं सशक्तिकरण (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता एवं पर्यटन विभाग) एवं जनजाति कल्याण (जनजाति क्षेत्रीय विकास, वन एवं राजस्व विभाग) जैसे विषयों पर संबंधित विभागों द्वारा सत्र आयोजित किए गए, जिनमें उत्साह के साथ प्रतिनिधियों व आमजन ने भाग लिया।

साथ ही, श्रम कल्याण एवं प्रवासी श्रमिक उत्थान (श्रम, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग), राजस्थान सुशासन की ओर (प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय, कार्मिक एवं वित्त (व्यय) विभाग), जरूरतमंद को अन्न एवं भोजन (खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, स्वायत्त शासन विभाग) एवं महिला निधि एवं सशक्तिकरण (महिला एवं बाल विकास, उच्च शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग) के सत्र भी आयोजित किए गये है।