Tuesday 15 July 2024 at 07:51 PM
चौबीसों घण्टे पेयजल सप्लाई पर आयोजित हुई कार्यशाला
लेकिन अतीत में जाना होगा दो बूँद पानी की फिल्म देखने भी
जयपुर: 15 जुलाई 2024: (के के सिंह//राजस्थान स्क्रीन डेस्क)::
जब राजस्थान में पानी का संकट बेहद गंभीर था .लोग बूँद बूँद पानी को तरसते थे। उस समय भी राजस्थान के लोगों की ज़िन्दगी के इस दर्द को बहुत जहां संवेदना से महसूस करने वाले लोग मौजूद थे। इनके प्रयासों को उस सफलता की नींव कहा जा सकता है जिस सफलता के अंतर्गत आज लोगों की बहुत बड़ी संख्या तक पानी पहुंच पा रहा है। इन्हीं संवेदनशील लोगों में एक जानेमाने बुद्धिजीवी थे जनाब ख्वाजा अहमद अब्बास।
ख्वाज़ा अहमद अब्बास लेखन, पत्रकारिता और फिल्म संसार के एक जानेमाने नाम थे। उन्होंने एक फिल्म बनाई थी दो बूंद पानी। राजस्थान के पानी लाने के लिए गांवों के आम लोगों ने क़ुरबानी की जिस भावना से काम लिया उसका अहसास दिलाती है यह फिल्म। पानी लाना कितना मुश्किल था। पहाड़ों को हटाना कितना मुश्किल था। डाईना माईट ही बस एक रास्ता था। लेकिन इस धमाके में भी जान जाने का खतरा था। अपने गांव तक नहर पहुंचाने के लिए गांव का जवान गंगा राम कहता है मैं करूंगा यह काम। गंगा सिंह की इस भूमिका को जलाल आगा ने बहुत कमाल से निभाया।
गंगा सिंह की क़ुरबानी के बाद नहर का रास्ता तो बन जाता पर गांव में उसका इंतज़ार कर रही उसकी पत्नी गौरी दिन रात उसकी याद में तड़पती है। उसके राहें देखती है। इस मामले में गीत संगीत बहुत ही कमाल का है। उसे कुछ नहीं पता कि उसका गंगा राम तो नहर क़ुरबानी दे गया।
जब गांव का इंजीनियर और गौरी की ननद नहर के उदघाटन पर उसे लिवाने के लिए आते हैं तब का माहौल भी बहुत दर्द भरा है। गौरी पूछती है उसका गंगा कहां है? उसे जवाब नहीं मिलता। आखिर गौरी को लेकर नहर के शुभारम्भ वाले आयोजन में लेजाया जाता है। गौरी फिर पूछती है। उसका गंगा कहां है? वह नज़र क्यूं नहीं आ रहा। तब नहर इंजीनियर बाबू हुए गौरी की ननद कहते हैं ज़रा सामने देखो। दर्शकों को भी एक बारगी तो लगता है। अभी गंगा सामने से निकल आएगा। बस सामने देखो कहते ही पानी छोड़ने का बटन दबा दिया जाता है। गौरी सामने देख रही है। तब उछलते आ रहे नहर के पानी में निर्देशक ने उसके पति गंगा सिंह की छवि उसी पानी में दिखाई है। गौरी की भूमिका बहुत ही शानदार ढंग से निभाई है सिम्मी गरेवाल ने। उस समय के हालात और इस फिल्म को ज़हन में रखे बिना हां आज की उस ख़ुशी को भी न समझा पाएंगे जो आज के राजस्थान में 24 घंटे पेय जल की सप्लाई को लेकर पाई जा रही है।
इस वर्कशाप की खबर के अवसर पर इस फिल्म का उल्लेख भी ज़रूरी था। राजस्थान नगरीय आधारभूत परियोजना (आरयूआईडीपी ) द्वारा चौबीसों घण्टे पेयजल सप्लाई पर कार्यशाला जयपुर शहर में आयोजित की गई।कार्यशाला में आरयूआईडीपी, रूडसिको और डी.एल.बी. के अभियन्ताओं ने भाग लिया। इसमें चौबीसों घण्टे पेयजल सप्लाई के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की गई और फील्ड से मिले अनुभवों को साझा किया गया।
एडमिनिस्ट्रेटिव स्टॉफ कॉलेज ऑफ इंडिया, हैदराबाद के केन्द्र निदेशक प्रोफेसर एस. चारी ने मूलभूत सुधारों एवं आवश्कताओं पर विस्तार से समझाया। उन्होंने देश-विदेश की बेस्ट प्रेक्टिसेज और चौबीसों घण्टे पेयजल सप्लाई को प्राप्त कर चुके शहरों का उदाहरण देकर समस्याओं को हल करने का सुझाव दिया।
आरयूआईडीपी के अतिरिक्त परियोजना निदेशक (द्वितीय) डॉ. हेमन्त कुमार शर्मा ने कार्यशाला को परियोजना क्रियान्वयन ईकाईयों के अभियन्ता के लिए बहुत लाभकारी बताया और उन्हें बताया कि वे कार्यशाला में अपने अनुभव साझा करें और बेस्ट प्रेक्टिसेज से सीख लें। कार्यशाला में श्री गंगानगर, झुंझुनूं, पाली, टोंक, लक्ष्मणगढ़, सरदारशहर, कुचामन सिटी, बांसवाड़ा, सिरोही, आबू रोड़, मण्डावा व खेतडी परियोजना शहरों में कार्यरत अभियन्ताओं ने भाग लिया।
वाटको ( वाटर कॉर्पोरेशन ऑफ ओडिसा ) के परियोजना प्रबंधक श्री चिन्मय त्रिपाठी ने ओडिसा के विभिन्न शहरों में सफलतापूर्वक चल रही चौबीसों घण्टे पेयजल सप्लाई योजना को प्रेजेन्टेशन मे माध्यम से समझाया। डॉ. स्नेहलता ने हैदराबाद के घरों में नॉन रेवेन्यू वाटर को घटाने और उसमें जन सहभागिता, आई.ई.सी. और व्यवहार परिवर्तन गतिविधियों की भूमिका को विस्तारपूर्वक समझाया।
कार्यशाला में आरयूआईडीपी के एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर (प्रथम) श्री डी.के.मीणा, वित्तीय सलाहकार श्रीमती जिज्ञासा गौड़, अतिरिक्त मुख्य अभियंता श्री के. के. नाटाणी, उप-परियोजना निदेशक (तकनीकी) श्री कपिल गुप्ता, उप-परियोजना निदेषक (प्रशासन) श्री एस.एस. खिडिया एवं अन्य अभियन्ता मौजूद रहे।
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